कद्दू मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में एक प्रमुख सब्जी फसल है। यह न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि स्वास्थ्य लाभों से भी भरपूर होता है—यह ब्लड प्रेशर/रक्तचाप को कम करने में मदद करता है, रौशनी/द्रिष्टि में सुधार करता है, और एंटीऑक्सीडेंट (फ्री रेडिकल्स के कारण कोशिकाओं को होने वाले नुकसान को रोकते हैं) के रूप में कार्य करता है।
कद्दू दोमट से बलुई दोमट मिट्टी में सबसे अच्छा उगता है, जिसका पीएच स्तर 6.0 से 7.0 के बीच होता है। मिट्टी को कम्पोस्ट या अच्छी तरह से सड़ी हुई खाद से समृद्ध करें। जलभराव से बचने के लिए अच्छी जल निकासी सुनिश्चित करें—कद्दू की जड़ें अधिक पानी के प्रति संवेदनशील होती हैं।
तापमान: 25–30°C
वर्षा: 600–1000 मिलीमीटर वार्षिक
कद्दू विभिन्न जलवायु परिस्थितियों को सहन कर सकते हैं, लेकिन वे गर्म और मध्यम आर्द्रता वाली स्थितियों में सबसे अच्छे से पनपते हैं।
भारत भर में लोकप्रिय किस्मों में शामिल हैं: अर्का सूर्यमुखी, अर्का चंदन, पूसा विश्वास, पूसा अक्षय, पूसा विकास, अंबिली, CO1, काशी शिशिर (वीआरपीकेएच-01), और काशी हरित।
2-3 बार जुताई करें, इसके बाद मिट्टी को समतल करें।
2-3 मीटर की दूरी पर कतारों और 1-1.5 मीटर की दूरी पर पौधों के बीच की दूरी रखते हुए क्यारियाँ (मेढ़) /गड्ढें तैयार करें।
जड़ों के सही विकास के लिए मिट्टी को अच्छी तरह से तैयार करें।
वसंत/गर्मी: अप्रैल–मई
बरसात का मौसम: जून–जुलाई
सर्दी/ठंड (उत्तर भारत): नवंबर–दिसंबर (बिना पाले/ठंड वाले क्षेत्रों में)
अच्छे अंकुरण के लिए बुआई के तुरंत बाद सिंचाई करें।
अंतिम जुताई के दौरान 10-12 टन/एकड़ अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद डालें।
जैविक उर्वरकों और जैविक कीटनाशकों से समृद्ध नीम की खली का उपयोग करें।
बेहतर फल विकास के लिए, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर और सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे आयरन, मैंगनीज, बोरॉन और जिंक युक्त बहु सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ 5 ग्राम/लीटर की दो बार पत्तियों पर छिड़काव करें।
फूल आने और फल लगने के चरणों में मिट्टी को नम रखें।
फफूंद की समस्याओं से बचने के लिए ऊपर से सिंचाई न करें।
सतही सिंचाई में, मौसम के अनुसार हर 4-8 दिनों में पानी दें।
बरसात के मौसम में, विशेष रूप से भारी मिट्टी पर, उचित जल निकासी सुनिश्चित करें।
सब्जियों में तुलसिता रोग/ डाउनी फफूंद के बेहतर नियंत्रण के लिए 200 लीटर पानी का उपयोग करके 600 मिली/एकड़ की दर से इनफिनिटो का छिड़काव करें।
सब्जियों में मृदुरोमिल रोग/चूर्णी फफूंदी/ पाउडरी फफूंद के नियंत्रण के लिए शुरुआती अवस्था में नेटिवो का 120 ग्राम/एकड़ और फल बनने की अवस्था में 200 मिली/एकड़ की दर से लूना एक्सपीरियंस का 200 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
वायरस से होने वाले रोग
कद्दू पीला येलो मोज़ाइक रोग (पीवाईवीएमडी), सफेद मक्खियों द्वारा फैलता है।
सब्जियों में सफेद मक्खियों और माहू जैसे चूसने वाले कीटों के नियंत्रण के लिए, 200 लीटर पानी में 200 मिली/एकड़ सोलोमन का छिड़काव करें।
रसायनों का उपयोग करने से पहले, कृपया विभिन्न फसलों में उचित उपयोग के लिए उत्पाद लेबल की जाँच करें।
यदि फलों पर चमड़े जैसे सफेद धब्बे दिखाई दें, तो यह संभवतः सूर्य की जलन है।
इसे रोकने के लिए फलों को पुआल से ढकें या बेलों की मजबूत वृद्धि बनाए रखें।
जब फल पीले/नारंगी-पीले हो जाएं और तने सूख जाएं, तब कटाई करें।
तने को काटते समय 2-3 इंच छोड़ दें ताकि शेल्फ लाइफ (उपयोगी और उपभोग योग्य बनाए रखने की अवधि) बेहतर हो सके।
10 दिनों तक गर्म, सूखे स्थान पर रखें।
लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए ठंडी (10-16°C), अंधेरी जगह में स्टोर/जमा करें।
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